Saturday, March 02, 2013

ऐ सुबह !!




 ऐ सुबह "

ऐ सुबह तुझमें भी कुछ अनछुए अहसास हैं .....

चाँद से कर बेवफाई, तू अब सूरज के साथ है...

सोंदर्य तेरा है अलंकृत ओस की इन बूंदों से ,,,,

लिपट रही बूंदों से किरणें प्रेम की उम्मीदों से ,,,

पंछियो के कलरव में , कुछ बेअदब से साज़ हैं ....

तेरे आंचल में हैं सिमटे ,कुछ नये अल्फाज़ हैं ....

ऐ सुबह तुझमें ......


खिल रहें फूलों के कोंपल फिर महकने के लिए...

जग रहा है ये जहाँ फिर चहकने के लिए ....

दुल्हन सी तू सजने लगी ,फिर प्रणय की प्यास है ....

ऐ सुबह तुझमें भी कुछ अनछुए अहसास हैं ....!!!