क्यों कुछ बातों का कुछ भी मतलब नहीं होता ..
क्यों कोई साथ हो कर भी करीब नहीं होता..
क्यों कोई अनजाने मे ही अपना बन जाता है ..
और ऐसा साथ भी हर किसी को नसीब नहीं होता..
क्यों इन सवालों का जवाब हमें नही मिलता,
चाहते हुए भी चैन नसीब नहीं होता..
क्यों ज़िन्दगी सिर्फ खुशियों से भरी नही होती...
क्यों हर ख़ुशी के बाद ग़म की आंधी है होती..
क्यूँकि.......अगर हर क्यों का जवाब मिल जायें तोह "जीने " मे कोई मज़ा ही नहीं होता
दोस्तों से पूछो ये क्या एहसास है ........
ये ही क्या कम है ..... के दूर होके क भी हम इतने पास हैं...........
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