Saturday, March 02, 2013

ऐ सुबह !!




 ऐ सुबह "

ऐ सुबह तुझमें भी कुछ अनछुए अहसास हैं .....

चाँद से कर बेवफाई, तू अब सूरज के साथ है...

सोंदर्य तेरा है अलंकृत ओस की इन बूंदों से ,,,,

लिपट रही बूंदों से किरणें प्रेम की उम्मीदों से ,,,

पंछियो के कलरव में , कुछ बेअदब से साज़ हैं ....

तेरे आंचल में हैं सिमटे ,कुछ नये अल्फाज़ हैं ....

ऐ सुबह तुझमें ......


खिल रहें फूलों के कोंपल फिर महकने के लिए...

जग रहा है ये जहाँ फिर चहकने के लिए ....

दुल्हन सी तू सजने लगी ,फिर प्रणय की प्यास है ....

ऐ सुबह तुझमें भी कुछ अनछुए अहसास हैं ....!!!

Sunday, August 12, 2012

I saw the Storm




In a world of hatred and malevolence
I saw men who are fighting to be warm
I look for shroud as I saw the storm and
"Come in" someone  said
"I'll give you shelter from the storm"

I was in another lifetime one of moil and line
When inkiness was a virtue and the path was full of mire
came from the wilderness a creature null of bod
I look for shroud as I saw the storm and
"Come in" someone said
"I'll give you shelter from the storm"

No one said a word there was little risk involved
All things up to that point had been left unsolved
Try ideating a place where it's always safe and warm
"Come in" someone said
"I'll give you shelter from the storm"

I've heard people wailing like a grieving dove
I see burgeoning hate and absence of love
I mourn and I sorrow
thinking about tommorow
Do I understand the quest or
 is it hopeless and forlorn
"Come in" someone said
"I'll give you shelter from the storm"

Sunday, December 18, 2011

कि शायद वो रुबरु होंगे!!!!!!!!!



कोई बात हुई थी  कुछ  दिनों  पहले 
किसी से मुलाक़ात हुई  थी  कुछ दिनों पहले 


एक  हम दम  सा 
एक  हमसफ़र सा 
कुछ जाना पहचाना  सा
बात  करके हमें लगा 
एक अपनापन सा


कुछ  दूर हम साथ चले थे उस दिन 
सोचता हू क्यों न ठहर गया वो  दिन 
क्यों  न  ठहर गया वह पल 
वह पल  जब हम साथ थे 
वह पल जिसमे  हम दोनों के जज़्बात थे 


कुछ तुम कह सके थे हमसे
कुछ हम कह सके थे तुमसे 


ना  लौट के आएगा  वह समां 
वह समां जिसमे उनींदा था आसमा 


बातो ही बातो में दिल खो गया  कुछ दिनों पहले 
फिर एक दिन  अचानक हुआ  कुछ
सिलसिला  वो  ख़त्म हुआ कुछ दिनों पहले 


कोई  कैसे  समझाए  उन्हें  
ऐ रूठे  दिल 
जो  हमसे  शायद नाराज़  होके  बैठा  है ,
कोई  कैसे  बताये  उन्हें  की  
जख्म  यहाँ  भी  उतना  ही  गहरा  है 
दर्द  यहाँ  भी  मुकम्मल  है ...




नादानी  न  थी  हमारी  पर  रुसवा  हुए  दोनों ,
गुस्ताखी  न थी  हमारी  पर  जुदा  हुए  दोनों .


दिल कहता  है कि  क्यों माने यह सारे बंधन 
क्यों करे परवाह हम किसी की 
यह दस्तूर  ये  रिवाज़ 
क्या जरुरत है इनकी 


अब  हमारे  हाथ  में  कुछ  भी  नहीं ,
हम  चाह  कर  भी  उन्हें  भुला  नहीं  पाते,
वो  अब  नहीं  है  हमारे  ये  खुद  को  समझा  नहीं  पाते ,
अब  बस  चलते  चले  जाते  है  उन  तनहा  राहो  पे ,
इस  झूठी   तसल्ली  से  कि अगले  ही  मोड़  पे  वो  हमारे  रु -ब -रु  होंगे ...

Wednesday, November 23, 2011

Because I Die Hard



If inquisitive would make us prudent
No eyes would ever gaze in point;
If all our tale were told in speech
No mouths would wander each to each.

Were feelings free from individual mesh
And love not bonded in hearts of flesh
No aching bosoms would yearn to meet
And find their exaltation consummate.

For who is there that lives and knows
The secret powers by which he grows?
Were cognition all, what was our need
To quiver and faint and sweetly bleed?.

Then quest not, sweet, the "If" and "wherefore"
I love you now until I be tore.
For I must love because I die hard
And life in me is what you accord

Friday, September 09, 2011

I..............!!!!!!!






I walk in the dark to escape my shadow
I walk in rain to hide my tears
I walk in sunshine to celebrate my life
I sit beside the lake to find peace
I sit in silence to ponder
I scream aloud to vent out my anger.....
I love unconditionally just to see a smile
I hate just to realize how precious love was

I fly in the sky to know how small this world was 
I wondering what the last thoughts were
I realize how big is it when my close ones are far.....

Monday, August 29, 2011

बस लिखने के लिए कोई Topic नहीं है!!
















ऐसा  नहीं  है  की  मै लिखना  भूल  गया  हूँ,
बस  लिखने  के  लिए  कोई  Topic नहीं  है!!


नए  नए  जानवर  आये  है  जंगल  में,
माहौल  एकदम  बदलने  सा  लगा  है ....


पुराने  जानवर  अपने  अपने  इलाको  पे  जमा के  बेठे  है  डेरा,
बन्दे  कहते  है  की  "ये  है  मेरी", बन्दिया  कहती  है  "वोह  है  मेरा"!!


Self proclaimed 'शेर' निकले  है  शिकार पर,
हम तो   बेठे  है  Room  पे  क्यूकि  हमें  शिकार  करना  आता  नहीं  है .....


ऐसा  नहीं  है  की  मै लिखना  भूल  गया  हूँ,
बस  लिखने  के  लिए  कोई  Topic नहीं  है!!

क्या  लिखू .. की  फिर  लेकर  मुझको  याद  आ  गयी  है  नानी ?
या  सुनाओ  तुमको  'चोर-पुलिस  की  कहानी ?


साल  हो  गए  'Hide n Seek' खेले  हुए  और  डाले  हुए  किसी  skit   में  चुन्नी,
याद  नहीं  आ  रहा  आखरी  बार  कब  इन  कानो  ने  आवाज़  सुनी  थी  "मुन्नी"!!


Seniors की  कमी  का  एहसास  Share करू ?
या  Professors के  बुराई करने  का  Dare करू ?


उनके  बारे  में  बताऊ  जिसके  पीछे  दुनिया  पड़ी  है ?
या  उनकी  दास्ताँ  सुनाऊं   जो  लगती  मुझे  सही  है ?


ऐसा  नहीं  है  की  मै लिखना  भूल  गया  हूँ,
बस  लिखने  के  लिए  कोई  Topic नहीं  है!!

चलो  कोशिश  करता  हू  की  कुछ  तो  सुनाऊं,
जो  जज़्बात  दिल  में  बसे  है  उन्हें  ज़रा  बहार  तो  लाऊं !!


एक batch चला  गया जिसकी याद तो आती है,
But ये  नए  batch   के  कुछ  लोगो  को  देखकर  चली  जाती  है !!


पता  नहीं  सही  में  मौसम  बदला  है  या  नहीं,
पर  मुझे  तो  यही  मौसम  सुहाना  सा  लगने  लगा  है ..


पुराने  वोही  X - cafe, X - street, Even Acad block नए से लगने लगे है ,
नए नए जो उगे है फूल उन्हें देखकर मेरे अरमान फिर से जागने लगे है !!


पता  नहीं  कौनसी  बार  पहला  प्यार  हुआ  है,
But ये  पता  है  की  Result   इसका  भी  होना  वोही है !!


ऐसा  नहीं  है  की  मै लिखना  भूल  गया  हूँ,
बस  लिखने  के  लिए  कोई  Topic नहीं  है!!

लोगो  ने  जब  दिखाया  तो  हम  बोले .. "अरे  ये  तो  बच्ची है"..
तो  चाचा  आके  बोले .. "अरे  नहीं  चाचा ..आज  से  यही हमारी चाची है"!! :P   


हमने कहा  की  अरे  भाई, इतना  जल्दी  न  करो,
तो वोह बोले .. कि  हम तुम्हारे  साथ  है  चाचा  तुम  आगे  बढ़ो !!


मैंने  सोचा  कि  चलो  इस  बार  तो  मै  कुछ  करके  ही  रहूँगा ,
बहुत  हो  गया  मजाक, अब  मै  नहीं  सहूंगा !!


बहुत  समझा  बुझा  के  अपने  आप  को  किया  ही  था  राज़ी ..
के  इतने  में  देखा  कि  इसमें  भी  साला  कोई  मार  गया  बाज़ी!!


दिल  को  तो  बोल  नहीं  सकते  थे  तो  Atleast दूसरो  से  ही  झूठ  बोलने  लगे,
"भाई  लोग  तुम  टेंशन  मत  लो , मुझे  तो  उसमे   Interest  ही  नहीं  है !!"


ऐसा  नहीं  है  की  मै लिखना  भूल  गया  हूँ,
बस  लिखने  के  लिए  कोई  Topic नहीं  है!!


एक दिन  फिर  आया  साला  दोस्त और  बोला  कि  "चाचा  हमने  एक  नयी  चाची ढूँढ  ली है ",
हमने  कहा  कि  "चाचा  अब  तुम  रहने  दो , इन  सब  से  हमने  अपनी  आँखे  मूँद  ली है "


वोह  बोला  कि  "चाचा  एक  बार  देखो  फिर  कुछ  कहना,
And पसंद  न आये  तो  चाहे  ज़िन्दगी  भर  Excel Sheet बनाते  रहना"


चाचा  का  दिल  रखने  के  लिए  मैंने  देख  तो  लिया  and she wasn't that bad,
मैंने  कहा  कि  "ये  सब  अपने  बसकी  नहीं  है " तो  ये  सुनके  चाचा  हो  गए  sad!!


किसी और  के  साथ  देखता  है  तो  चाचा  मुझे  खूब  सुनाता है,
अब  तो  साला  Junior भी  उसे  चाची  कहकर  बुलाता  है!!


चलो  अभी  तो  कुछ  सुनाने  लायक  था  नहीं , but पक्का  जल्दी  ही  कुछ  करूँगा,
फिर  लिखूंगा  जब  कुछ लिखने लायक  होगा ....अभी  तो  लाइफ  में  कुछ  Entertaining नहीं  है !!


ऐसा  नहीं  है  की  मै लिखना  भूल  गया  हूँ,
बस  लिखने  के  लिए  कोई  Topic नहीं  है!!
 
P.S.: This is a work of fiction and bears no resemblance to any person living or dead!!
         Many many Thanks to Google Transliterate. :)

Saturday, August 27, 2011

एहसास..........!!!!!!!!




क्यों  कुछ  बातों  का  कुछ  भी  मतलब  नहीं  होता ..
क्यों  कोई  साथ  हो  कर  भी  करीब  नहीं  होता..
क्यों कोई  अनजाने  मे ही  अपना  बन  जाता  है ..
और  ऐसा  साथ  भी  हर  किसी  को  नसीब  नहीं  होता..
क्यों इन  सवालों  का  जवाब  हमें  नही  मिलता,
चाहते  हुए  भी  चैन  नसीब  नहीं  होता..
क्यों ज़िन्दगी  सिर्फ  खुशियों  से  भरी  नही  होती...
क्यों  हर  ख़ुशी के बाद ग़म की आंधी है  होती..


क्यूँकि.......अगर  हर  क्यों  का  जवाब  मिल  जायें  तोह  "जीने "  मे  कोई  मज़ा  ही  नहीं  होता

दोस्तों  से  पूछो  ये  क्या  एहसास  है ........
ये ही  क्या  कम  है ..... के  दूर  होके  क  भी  हम  इतने  पास  हैं...........